tag:blogger.com,1999:blog-5270386993970738922.post4847378121531072627..comments2023-08-09T08:00:19.660-07:00Comments on आख्यान: स्मृति में गोरख - शिवशंकर मिश्रDR. SHIV SHANKAR MISHRAhttp://www.blogger.com/profile/13510786708538068120noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5270386993970738922.post-82164268058563189052014-02-28T22:00:35.372-08:002014-02-28T22:00:35.372-08:00bahut achha laga ye lekh padhkar..bahut achha laga ye lekh padhkar..Uddeshyahttps://www.blogger.com/profile/13051485834852851490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5270386993970738922.post-56817693237329040632012-03-27T00:22:20.197-07:002012-03-27T00:22:20.197-07:00bahut achchha laga.---devikabahut achchha laga.---devikaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5270386993970738922.post-17756606077811351932011-11-17T05:44:03.302-08:002011-11-17T05:44:03.302-08:00मोहन श्रोत्रिय Says
गोरख के व्यक्तित्व और मनोदशा ...मोहन श्रोत्रिय Says <br />गोरख के व्यक्तित्व और मनोदशा का आत्मीयता पूर्वक किया गया चित्रण. तीन बरस तक मैंने भी उन्हें दूर-पास से देखा था. वह बेहद प्रतिभाशाली थे, इसमें कोई शक नहीं, पर उनकी 'बहक' का निरंतर बढ़ते चले जाना निस्संदेह चिंता की बात थी, और उनका 'अंत'बेहद त्रासद. <br />11/02/2011 <br /> वंदना शुक्ला Says <br />arunji,arse baad itana jeevant varnan aur lazawaab sansmaran padhaa.bahut si baten gorakh pande ji ke bare me pata chalin |mishr ji ko aur apko bahut 2 dhanywad <br />11/02/2011 <br /> सुशीला पुरी Says <br />बेहद मार्मिक ... <br />11/02/2011 <br /> वंदना शुक्ला Says <br />jeevant varnan...traasad... <br />11/02/2011 <br /> surabhi tripathi Says <br />jeevant...marmik...trasad... <br />11/02/2011 <br /> अपर्णा मनोज Says <br />गोरख जी के जीवन पर प्रकाश डालता सुन्दर लेखा .. पता नहीं क्यों वॉन गोग से समानता नज़र आई .. सिजोफ्रेनिया और एक कलकार ..<br /><br />"फिर लगा कि खिड़की के पार वे खड़े हैं और मुझे बुला रहे हैं. बाहर निकल कर देखा, तो वे सचमुच खड़े थे. उगते सूरज की लाली में... सब कुछ रँगा था. जलते बल्ब बेवजह लगने लगे थे. गोरख की आँखें अधखुली थीं. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था. बाद में जो समझ में आया, वह यह कि रात में मैंने निराला की एक गजल सुनायी थी, जिसकी धुन का उन पर ऐसा असर हुआ कि उसी धुन में एक गजल लिख डाली और अब चाह रहे थे कि मैं उसे गाकर सुनाऊँ ताकि वे विश्वस्त हो सकें कि गजल मुकम्मल हो गयी है. "<br />ये संवेदनशीलता .. कवि मन कितना कोमल होता है . उसके लिए छोट-छोटी बातें कितनी महत्त्वपूर्ण होती हैं .. गोरख जी से लेख के माध्यम से रूबरू होने पर पता चला . साहित्य की दुनिया में आकर बहुत कुछ जान रहे हैं .. सीख रहे हैं . मन का हर कोना इस तरह के भाव प्रवण पीस को पढ़कर अजीब सी एकान्तता और सुख पाता है . इसे लौटकर फिर पढेंगे . अरुण आपका आभार ..शिवशंकर जी को बधाई ! <br />11/02/2011 <br /> Kusum Joshi Says <br />"ham samjhote ke liyetark garte he...har tark ko gol matol bhasha me pesh karte he.........har syah ko safed or safed ko sayah karte he..".esmeti megorakh"ko lane ke liye aap sabhi ka shukriya... <br />11/03/2011 <br /> Sayeed Ayub Says <br />हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है <br />बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा <br /><br />गोरख भी एक 'दीदावर' थे और जो थोड़े से लोग गोरख को पढ़ने, समझने और जानने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी 'दीदावर' हैं. अरुण देव और शिवशंकर मिश्र-आप दोनों लोग भी 'दीदावर' हैं. <br />11/04/2011Anonymousnoreply@blogger.com